ग्रन्थ परिचय | Introduction |
मधुराष्टकं में महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य ने बालरूप श्रीकृष्ण की मधुरता का मधुरतम वर्णन किया है। श्रीकृष्ण के प्रत्येक अंग एवं गतिविधि मधुर है और उनके संयोग से अन्य सजीव और निर्जीव वस्तुएं भी मधुरता को प्राप्त कर लेती हैं। इस सृष्टि में जो कुछ भी मधुरता है उसको श्रीकृष्ण की मधुरता का एक अंश समझते हुए भक्तों को निरंतर श्रीमाखनचोर का स्मरण करना चाहिए। मधुराष्टकं पुष्टिमार्गीय वैष्णवों के नित्य पठनीय षोडश ग्रंथों में अपूर्व स्थान रखता है, इसके नित्य पठन से व्यक्ति सब का प्रिय हो जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की पराभक्ति प्राप्त कर लेता है। मधुराष्टकं की मधुरता का वर्णन कर पाना संभव नहीं है, संभवतः श्रीकृष्ण स्तुति में इस पृथ्वी पर लिखा गया यह सबसे मधुर अष्टक है। प्रभु के परमप्रिय भक्त महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य जी को शत कोटि नमन! ॥श्रीहरि॥ | Madhurashtakam is the sweetest description of the sweetness of child God, Sri Krishna by Mahaprabhu Sri Vallabhcharya. Every body part and all the actions of Sri Krishna are sweet and by his sweet contact anything living or non-living becomes sweet. Whatever sweetness we see in this material world should be understood as a small fraction of the sweetness of Lord Sri Krishna. So the devotees of Lord Sri Krishna should continuously remember the butter stealing form of his. Madhurashtakam has extraordinary place among the sixteen sacred books of Pushti Marg Vaishnavas. By reading this regularly, a devotee becomes dear to all and gets supreme devotion towards Lord Sri Krishna. It is not possible to describe the sweetness of Madhurashtakam; probably it contains the sweetest eight verses written in worship of Lord Sri Krishna on this earth. Hundered billion salutations to the dearest devotee of Lord, Mahaprabhu Sri Vallabhcharya. ॥Sri Hari॥ |
मधुराष्टकम् (मूल संस्कृत) | मधुराष्टकम् (हिंदी भावानुवाद) | Madhurashtakam (English) |
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अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥१॥ | आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी ऑंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥१॥ | O Krishna! your lips are sweet, your face is sweet, your eyes are sweet, your laugh is sweet, your heart is sweet, your gait is sweet. O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥1॥ |
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्। चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥२॥ | आपका बोलना मधुर है, आपका चरित्र मधुर है, आपके वस्त्र मधुर हैं, आपके वलय मधुर हैं, आपका चलना मधुर है, आपका घूमना मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥२॥ | O Krishna! your words are sweet, your acts are sweet, your clothes are sweet, your curves are sweet, your movements are sweet, your roaming is sweet. O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥2॥ |
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ। नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥३॥ | आपकी बांसुरी मधुर है, आपके लगाये हुए पुष्प मधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं , आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥३॥ | O Krishna! your flute is sweet, your garland is sweet, your hands are sweet, your feet are sweet, your dance is sweet, your friendship is sweet.O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥3॥ |
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् । रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥४॥ | आपके गीत मधुर हैं, आपका पीताम्बर मधुर है, आपका खाना मधुर है, आपका सोना मधुर है, आपका रूप मधुर है, आपका टीका मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥४॥ | O Krishna! your songs are sweet, your yellow robe is sweet, your eating is sweet, your sleeping is sweet, your beauty is sweet, your mark of forehead is sweet. O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥4॥ |
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम्। वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥५॥ | आपके कार्य मधुर हैं, आपका तैरना मधुर है, आपका चोरी करना मधुर है, आपका प्यार करना मधुर है, आपके शब्द मधुर हैं, आपका शांत रहना मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥५॥ | O Krishna! your deeds are sweet, your floating is sweet, your act of stealing is sweet, your love is sweet, your words are sweet, your silence is sweet. O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥5॥ |
गुंजा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा। सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥६॥ | आपकी घुंघची मधुर है, आपकी माला मधुर है, आपकी यमुना मधुर है, उसकी लहरें मधुर हैं, उसका पानी मधुर है, उसके कमल मधुर हैं, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥६॥ | O Krishna! your berries are sweet, your garland is sweet, your river Yamuna is sweet, her waves are sweet, her water is sweet, her lotus are sweet.O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥6॥ |
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् । दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥७॥ | आपकी गोपियाँ मधुर हैं, आपकी लीला मधुर है, आप उनके साथ मधुर हैं, आप उनके बिना मधुर हैं, आपका देखना मधुर है, आपकी शिष्टता मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥७॥ | O Krishna! your Gopis are sweet, your playing is sweet, with them you are sweet, without them you are sweet, your seeing is sweet, your manners are sweet. O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥7 |
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा। दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥८॥ | आपके गोप मधुर हैं, आपकी गायें मधुर हैं, आपकी छड़ी मधुर है, आपकी सृष्टि मधुर है, आपका विनाश करना मधुर है, आपका वर देना मधुर है, मधुरता के राजा श्रीकृष्ण आपका सब कुछ मधुर है ॥८॥ | O Krishna! your friends are sweet, your cows are sweet, your creation is sweet, your destruction is sweet, your boons are sweet. O king of sweetness! everything about you is sweet only.॥8॥ |
॥इति श्रीमद्वल्लभाचार्यविरचितं मधुराष्टकं सम्पूर्णं ॥
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