Monday, May 24, 2010

सरस्वती स्तोत्र

शुक्लांब्रह्मविचारसारपरमामाद्यांजगद्व्यापिनीम्।
वीणा पुस्तकधारिणीमभयदांजाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकांविदधतींपद्मासनेसंस्थिताम्।
वन्दे तान्परमेश्वरीन्भगवतीन्बुद्धिप्रदान्शारदाम्

स्वच्छ रंग-बाली, ब्रह्म विद्या की सार-स्वरूपा,आद्याशक्ति, जगत् को व्याप्त करने वाली, वीणा-पुस्तकधारिणी,अभयदातृ, जडता रूपी अंधकार का विनाश करनेवाली, हाथ में स्फटिक माला धारण करने वाली, कमलासना,बुद्धि प्रदायिनीभगवती शारदा की मैं वन्दना करता हूं।

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