Thursday, October 28, 2010

परम स्नेही संत

परम स्नेही संत

स्वर्ग मृत्यु पाताल में पूर तीन सुख नांहि।
सुख साहिब के भजन में अरु संतन के माँहि।।1।।
संतन ही में पाइये राम मिलन कौ घाट।
सहजै ही खुलि जात है 'सुंदर' हृदय कपाट।।2।।
संत मुक्ति के पोरिया तिनसों करिये प्यार।
कूँचि उनके हाथ है 'सुंदर' खोलहि द्वार।।3।।
'सुंदर' आये संत जन मुक्त करन को जीव।
सब अज्ञान मिटाइ करि करत जीव तै शिव।।4।।
संतन की सेवा किये हरि के सेवा होय।
तातैं 'सुंदर' एक ही मति करि जानै दोय।।5।।
सहजो भज हरिनाम को छाँडि जगत का नेह।
अपना तो कोई है नहीं अपनी सगी न देह।।6।।
पातक उपपातक महा जेते पातक और।
नाम लेत तत्काल सब जरत खरत तेहि ठौर।।7।।
तिमिर गया रवि देखते कुमति गई गुरुज्ञान।
सुमति गई अति लोभ से भक्ति गई अभिमान।।8।।
जैसी प्रीति कुटुंब की तैसी गुरु से होय।
कहैं कबीर ता दास को पला न पकड़ै कोय।।9।।
जो कोय निंदे साधु को संकट आवे सोय।
नरक जाय जनमै मरै मक्ति कबहुँ नहीं होय।।10।।
बहुत पसारा मत करो कर थोड़े की आस।
बहुत पसारा जिन किया तेई गये निराश।।11।।
कपटी मित्र न कीजिये पेट पैठि बुधि लेत।
आगे रह दिखाय के पीछे धक्का देत।।12।।
कोटि करम लागै रहै एक क्रोध की लार।
किया कराया सब गया जब आया अहंकार।।13।।
अपना तो कोई नहीं देखा ठोकि बजाय।
अपना अपना क्या करे मोह भरम लपटाय।।14।।
दीप कूँ झोला पवन है नर कूँ झोला नारि।
ज्ञानी झोला गर्व है कहै कबीर पुकारि।।15।।
दोष पराया देखि करि चले हंसत हंसत।
अपना याद न आवई जा का आदि न अंत।।16।।
लोभ मूल है दुःख को लोभ पाप को बाप।
लोभ फँसे जे मूढ़जन सहैं सदा संताप।।17।।
दरसन को तो साधु हो सुमिरन को गुरुनाम।।18।।
सुख देवे दुःख को हरे करे पाप का का अंत।
कह कबीर वे कब मिलें परम स्नेही संत।।19।।
तीरथ नहाये एक फल संत मिले फल चार।
सदगुरु मिले अनंत फल कहे कबीर विचार।।20।।
आवत साधु न हरखिया जात न दीना रोय।
कहैं कबीर वा दास की मुक्ति कहाँ ते होय।।21।।
साधु मिले साहिब मिले अंतर रही न रेख।
मनसा वाचा कर्मणा साधु साहिब एक।।22।।
कोटि कोटि तीरथ करै कोटि कोटि करू धाम।
जब लग साधु न सेवई तब लग काचा काम।।23।।
अड़सठ तीरथ जो फिरै कोटि यज्ञ व्रत दान।
'सुंदर' दरसन साधु के तुलै नहीं कुछ आन।।24।।
मैं अपराधी जनम का नख सिख भरा विकार
तुम दाता दुःख भंजना मेरी करो सँभार।।25।।
सुरति करो मेरे साईयाँ हम हैं भवजल माँहि।
आप ही बह जाएँगे जो नहीं पकरो बाँहि।।26।।

ॐॐॐॐॐॐ

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